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उड़ने वाला भूत

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   घर के सामने एक ही आम का पेड़ था। उसी पेड़ पर वो मुर्गा बैठा था।पहले तो मैने सोचा कि वो एक बड़ी  चिड़िया हैं,पर जब गौर से देखा तो वो एक लाल मुर्गा था।मुझे  हैरानी हुई कि ये मुर्गा पेड़ पर कैसे चढ़ गया है?    मौसा जी ने बताया कि यहाँ पर जंगल है इसलिये यहाँ पर उड़ने वाले मुर्गे भी है।उन्होने चेताया कि मै इनको पकड़ने की कोशिश बिल्कुल भी ना करुँ।यहाँ बुरी आत्मा भी है। ये जगह बिल्कुल भी अच्छी नही है।यहां भ्रम ही भ्रम है।मौसा जी तो यहाँ आना ही नही चाहते थे पर विभाग के अधिकारियो के द्वारा दिये गये इस आश्वासन पर वो आ गये कि  केवल छ: महिने यदि वो यहाँ रह जायेंगे  तो उनको फॉरेस्ट अफसर की पोस्ट पर प्रमोशन कर दिया जायेगा।मै भी अपने मौसा जी के साथ आ गया था।मौसा जी तो आफिस चले जाते पर मै घर के आस पास घूम लेता।शाम को उनके कुछ साथी लोग आ जाते थे उनसे गपशप हो जाती थी। कल शाम को मौसाजी मिठाई और फल लाये थे।मै मुर्गे को कुछ खाने को देना चाहता था।मैने बाहर आकर देखा वो अभी तक पेड़ पर ही था।मैने उस मुर्गे के लिये पेड़  के नीचे कुछ केले काट कर रख दिये। थोड़ी देर में व...

क्या वो भूत था

राम को मन्दिरो मे घूमना बहुत ही अच्छा लगता था।ऐसे ही वो अपने गावँ में बने मन्दिर में चला गया।बड़ी गजब की फोटो और मुर्ति थी उस मन्दिर में ।पुजारी जी ने उसको मना किया था की भूगर्भ में ना जाये।पर ये तो है इंसानी दिमाग।वो नही माना।राम ने शादी नही की थी।बस मन्दिरो का मोह था उसको । अपनी सारी कमाई वो इस काम में ही खर्च करता था।               चलते-चलते राम भूगर्भ के रास्ते नदी के पास आ गया था कि तभी राम को ऐसा महसूस हुआ कि वहां कोई है । राम पलट कर वापिस जाना ही चाह रहा था कि एक जोरदार धक्का लगा और धडाम से गिर गया ।राम को समझ में नही आया कि वो कैसे गिर गया।लोगों को कहते सुना था कि नदी पर मत जाना पर राम कहाँ मानने वाला था।किसी तरह से राम अपने घर पहुँच गया ।खाना खाने बैठा तो सारा खाना खुद खा गया।राम के पिता ने कहा,जा पेड़ से पत्तिया तोड़ कर ला दे।पत्तल बनानी है।भिमल की पत्तिया लाना,उसकी पत्तल अच्छी बनती है। राम जल्दी से खुब सारी भिमल की पत्तिया तोड़ लाया।थोड़ी ही देर में पड़ोस से गीता आ गयी,उसने बताया कि भाई जी ने पूरा पेड़ काट दिया है। राम को शायद गीता की शिका...

भालूओ का जंगल

मेरा शौक है घुमना।मै घूमना चाहता हूँ । कोई मुझसे पुछता है कि तुम्हारा घूमने का भी कैसा अजीब शौक है।पर मै क्या करू?कोई भी जगह मुझे अच्छी लगती है।मै कस्बो में,गाँव में,पहाडों मे,जंगल में जब भी घूमने जाता हूँ तो साथ में भुने चने लेकर चलता हूँ ।ऐसे ही जब मै जंगल में घूमने जा रहा था तो पोटली में चने थे।मेरे पास केवल एक डण्डा था जिसकी सहयता से पहाड़ पर चड़ना आसान सा लगता था। चलते चलते मै थक गया था।फुलो की खुशबू आ रही थी,जो मदहोश करने वाली थी।मैने एक पेड़ के नीचे आश्रय लेने के लिये चारो तरफ देखा कि कौन सा पेड़ अच्छा रहेगा जिसके नीचे बैठ कर मै आराम कर लू। चारो ओर पेड़ ही पेड़ थे।जैसे ही मै पेड़ के नीचे बैठने वाला था कि मुझे एक काला सा भालू नजर आया।मै उसे देखते ही सरपट भागा।मुझे नही पता कि मैं  कहाँ  पहुंच गया था।मैने देखा एक और भालू चला आ रहा था,मेरे सामने से।कुछ ना देख मै पेड़ पर चढ़ गया।मेरी सांस धौकनी की तरह चल रही थी।ये तो गनीमत थी कि मै गाँव में पेड़ो पर चढ़ा करता था,इसलिये मुझे आदत थी कि मै किसी भी पेड़  पर चढ़ जाता था। पेड़ पर बैठे हुए मुझे एक घंटा हो गया था।मै नीचे उतरने की सोच ही...

मौत कहाँ और कैसे होगी

मौत बता कर नही आती और मौत जिस जगह होनी होगी आदमी वहाँ पर किसी भी बाहने से चला ही जायेगा। एक बार भगवान विष्णु कैलाश पर्वत पर पहुंचे। द्वार पर गरुड़ को छोड़ कर वे शिवजी से मिलने चले गए। गरुड़ दृष्‍टि एक खूबसूरत छोटी सी चिड़िया पर पड़ी। उसी समय मृत्‍यु के देवता यमराज भी कैलाश पहुंचे और अंदर जाने से पहले उन्होंने उस छोटे से पक्षी को आश्चर्य की द्रष्टि से देखा। गरुड़ समझ गए उस चिड़िया का अंत निकट है और यमदेव कैलाश से जाते हुए उसे अपने साथ यमलोक ले जायेंगे। गरूड़ को चिडिया पर बहुत दया आई। उन्‍होंने चिड़िया को अपने पंजों में दबाया और कैलाश से हजारो कोस दूर एक जंगल में चट्टान के ऊपर छोड़ दिया, और खुद बापिस कैलाश पर आ गए। जब यम बाहर आए तो गरुड़ ने पूछ लिया कि उन्होंने उस चिड़िया को इतनी आश्चर्य भरी नजर से क्यों देखा था। यम देव बोले "गरुड़ जब मैंने उस चिड़िया को देखा तो मुझे ज्ञात हुआ कि वो चिड़िया कुछ ही पल बाद यहां से हजारों कोस दूर एक नाग द्वारा खा ली जाएगी। मैं सोच रहा था कि वो इतनी जल्‍दी इतनी दूर कैसे जाएगी, पर अब जब वो यहां नहीं है तो निश्चित ही वो मर चुकी होगी।" "मृत्यु टाले नहीं ...

गर्भवती का बेड रेस्ट

जब औरत गर्भवती होती है तो उसके शरीर में कई प्रकार के बदलाव होते है जिन्हे हम हर्मोनल बदलाव भी कहते है गर्भवती महिला के शुरु के तीन महिने बहुत ही महत्वपूर्ण होते है। जब एग फर्टिलाईज़ हो कर भूर्ण बन जाता है तो वो गर्भाशय की दीवार से चिपक जाता है।ये गर्भाशय की दीवार को ही भूर्ण का बेड या बिस्तर कहते है जो कि कई पर्त से बनी होती है जिस महिला की गर्भाशय की दीवार मे किसी शारीरिक कारण से या हरमोनल कारण से कमजोरी होती है तो कहा जाता है कि गर्भाशय कमजोर है और उस महिला को ही डॉक्टर बेड रेस्ट के लिये कहते है। डॉक्टर की सलाह माननी चाहिये।खानपान का विशेष ध्यान देना चाहिये। महिला को घर मे कई कार्य शारीरिक ताकत लगा कर करने पड़ते हैं जिससे उक्त प्रकार के कमजोर गर्भाशय पर जोर पड़ने से नसो व मसल्स पर दवाब पड़ने पर भूर्ण की पकड़ छुट जाती है और रक्त स्राव होने लगता है व गर्भपात भी हो जाता है इसलिये गर्भवती को बेड रेस्ट की सलाह दी जाती है।

फर्टिलाइजेशन और कंसेप्‍शन क्या होता है?

       जब स्‍पर्म एग तक पहुंचकर उसे निषेचित करते हैं, उसे कंसेप्‍शन कहते है।  जब तक एग फर्टिलाइज भ्रूण का रूप ले गर्भाशय की लाइनिंग तक पहुंचता है, तब इंप्‍लांटेशन होता है। परन्तु फर्टिलाइजेशन होने के तुरंत बाद इंप्‍लांटेशन नहीं होता है। कई लोगों को लगता है कि फर्टिलाइजेशन गर्भाशय में होता है जब कि ये फलोपियन टयूब में होता है और ये भूर्ण बाद में  गर्भाशय में चिपक जाता है।ये समय एक दिन से लेकर तीन दिन भी हो सकता है।

उसके पैर

रेल चल रही थी,मै नीचे की बर्थ पर बैठा हुआ था।रात के 11 बज चुके थे।सभी लोग सोने की तैयारी कर रहे थे।कुछ तो सो भी गये थे।मैने भी अपनी चादर निकाल कर बर्थ पर बिछा दी। मैने ऊपर की बर्थ पर देखा ,एक सुन्दर सी ड्रेस में  खुबसूरत लड़की बैठी थी।उसकी नजरे मुझ पर थी।वो मुझे घूर रही थी या मुझे गलतफहमी हूई मै नही जानता।मुझे कुछ संकोच हुआ बर्थ पर लेटने मे,सो बर्थ पर ही दोनो पैर मोड़ कर बैठ गया।उस लड़की ने कोई किताब निकाल ली थी,पर जब भी उसको देखता तो उसकी नजर मुझ से टकरा जाती और मै फिर इधर उधर देखने लगता। ट्रेन किसी छोटे से स्टेशन पर रुकी थी।चाय-चाय की आवाज से कुछ शोर हो गया था।वो किताब बन्द करके बैठी थी,उसकी घुरतीआंखे मुझे चुभ रही थी।मै उठा और मुँह धोने के लिये ट्रेन से उतर गया। वापिस आया तो देखा वो बर्थ पर लेट गयी थी पर ना जाने क्यो, मेरी नजरे बार-बार ऊपर उस बर्थ पर चली जाती थी। ट्रेन चल चुकी थी। कुछ वो लोग जो जागे थे,वो फिर से सो गये थे।मै अभी-अभी नींद के आगोश में जा ही रहा था कि मैने देखा एक लम्बा सा हाथ ऊपर से नीचे आया और मेरी पानी की बोतल उठा कर ले गया। ये लम्बा हाथ उस लड़की के पास से आ...

भालुओ का जंगल

 शौक है घुमना।मै घूमना चाहता हूँ । कोई मुझसे पुछता है कि तुम्हारा घूमने का भी कैसा अजीब शौक है।पर मै क्या करू?कोई भी जगह मुझे अच्छी लगती है।मै कस्बो में,गाँव में,पहाडों मे,जंगल में जब भी घूमने जाता हूँ तो साथ में भुने चने लेकर चलता हूँ ।ऐसे ही जब मै जंगल में घूमने जा रहा था तो पोटली में चने थे।मेरे पास केवल एक डण्डा था जिसकी सहयता से पहाड़ पर चड़ना आसान सा लगता था। चलते चलते मै थक गया था।फुलो की खुशबू आ रही थी,जो मदहोश करने वाली थी।मैने एक पेड़ के नीचे आश्रय लेने के लिये चारो तरफ देखा कि कौन सा पेड़ अच्छा रहेगा जिसके नीचे बैठ कर मै आराम कर लू। चारो ओर पेड़ ही पेड़ थे।जैसे ही मै पेड़ के नीचे बैठने वाला था कि मुझे एक काला सा भालू नजर आया।मै उसे देखते ही सरपट भागा।मुझे नही पता कि मैं  कहाँ  पहुंच गया था।मैने देखा एक और भालू चला आ रहा था,मेरे सामने से।कुछ ना देख मै पेड़ पर चढ़ गया।मेरी सांस धौकनी की तरह चल रही थी।ये तो गनीमत थी कि मै गाँव में पेड़ो पर चढ़ा करता था,इसलिये मुझे आदत थी कि मै किसी भी पेड़  पर चढ़ जाता था। पेड़ पर बैठे हुए मुझे एक घंटा हो गया था।मै नीचे उतरने की सोच ही ...

भारतीय अर्थवयवस्था

 भारत  के जीने के नियम,जिसके अंतर्गत भौतिकवाद एवं अध्यात्मवाद दोनों में समन्वय स्थापित करना सिखाया जाता है एवं व्यापार में भी आचार-विचार का पालन किया जाता है। भारतीय पद्धति में मानवीय पहलुओं को प्राथमिकता दी जाती है। अतः आज देश में भारतीय जीवन पद्धति को पुनर्स्थापित करने की अत्यधिक आवश्यकता है। देश के आर्थिक विकास को केवल सकल घरेलू उत्पाद एवं प्रति व्यक्ति आय से नहीं आँका जाना चाहिए बल्कि इसके आँकलन में रोज़गार के अवसरों में हो रही वृद्धि एवं नागरिकों में आनंद की मात्रा को भी शामिल किया जाना चाहिए। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि आर्थिक विकास हेतु एक शुद्ध भारतीय मॉडल को विकसित किए जाने की आज एक महती आवश्यकता है। इस भारतीय मॉडल के अंतर्गत ग्रामीण इलाक़ों में निवास कर रहे लोगों को स्वावलंबी बनाया जाना चाहिए। गाँव, जिले, प्रांत एवं देश को इसी क्रम में आत्मनिर्भर बनाया जाना चाहिए। साथ ही, भारतीय मॉडल में ऊर्जा दक्षता, रोज़गार के नए अवसर, पर्यावरण की अनुकूलता एवं विज्ञान का अधिकतम उपयोग का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। इस भारतीय मॉडल में प्रकृति के साथ तालमेल करके आगे बढ़ने की आवश्य...