भालुओ का जंगल

 शौक है घुमना।मै घूमना चाहता हूँ । कोई मुझसे पुछता है कि तुम्हारा घूमने का भी कैसा अजीब शौक है।पर मै क्या करू?कोई भी जगह मुझे अच्छी लगती है।मै कस्बो में,गाँव में,पहाडों मे,जंगल में जब भी घूमने जाता हूँ तो साथ में भुने चने लेकर चलता हूँ ।ऐसे ही जब मै जंगल में घूमने जा रहा था तो पोटली में चने थे।मेरे पास केवल एक डण्डा था जिसकी सहयता से पहाड़ पर चड़ना आसान सा लगता था। चलते चलते मै थक गया था।फुलो की खुशबू आ रही थी,जो मदहोश करने वाली थी।मैने एक पेड़ के नीचे आश्रय लेने के लिये चारो तरफ देखा कि कौन सा पेड़ अच्छा रहेगा जिसके नीचे बैठ कर मै आराम कर लू।
चारो ओर पेड़ ही पेड़ थे।जैसे ही मै पेड़ के नीचे बैठने वाला था कि मुझे एक काला सा भालू नजर आया।मै उसे देखते ही सरपट भागा।मुझे नही पता कि मैं  कहाँ  पहुंच गया था।मैने देखा एक और भालू चला आ रहा था,मेरे सामने से।कुछ ना देख मै पेड़ पर चढ़ गया।मेरी सांस धौकनी की तरह चल रही थी।ये तो गनीमत थी कि मै गाँव में पेड़ो पर चढ़ा करता था,इसलिये मुझे आदत थी कि मै किसी भी पेड़  पर चढ़ जाता था।
पेड़ पर बैठे हुए मुझे एक घंटा हो गया था।मै नीचे उतरने की सोच ही रहा था कि मैने देखा पेड़ के नीचे आठ भालू जमा होकर ऊपर मुझे ही देख रहे है।
अरे इतने सारे भालू, कहाँ से जमा हो गये है? काले बड़े भालू,जो कभी दो पैरो पर खड़े हो रहे थे तो कभी पेड़ के चारो ओर चक्कर काट रहे थे।उस समय सुबह के दस बज रहे थे।मै घूमने के लिये सुबह सात बजे निकल गया था।शाम तक घर वापिस लौटने के हिसाब से चला था।ये तो हिमालय का जंगल था।मौसी ने बताया था कि  यहाँ बहुत भालू है,इसलिये जंगल में घूमने के लिये मत जाना । अब मुझे मौसी की नसीहत याद आ रही थी।मै तो ये सोच कर घूमने निकला था कि पहाड़ियों पर चलना मुझे अच्छा लगता था।बड़े ऊचे-ऊचे पेड़ो से मुझे खास लगाव था।
मैने नीचे देखा।भालू अब पेड़ के चारो ओर बैठ गये थे पर उनकी नजरे मुझ पर ही थी।मुझे भूख लग गयी थी।चने की पोटली मैने अपनी जेब में घुसेड़ ली थी।मैने चने की पोटली जैसे ही खोली तो चने की भीनी खुशबू  जंगल में  फैल गयी जिसका नतीजा ये हुआ कि वो बैचेन होकर पेड़ के चारो और फिर से चक्कर काटने लगे।
अब तो दिन के तीन बज गये थे।इन भालुओ से पीछा तो छुड़ाना ही था।मैने एक चने का दाना पेड़ की पत्ती पर अच्छी तरह लपेटा और वो पत्ती नीचे फैंक दी।सभी भालू उस एक छोटी पत्ती पर गुत्थमगुत्थ हो गये।एक दूसरे को नोचने लगे।जंगल में  शोर हो गया।भालुओ की चीखे जंगल मे गूंजने लगी। किस्मत से वहाँ पर जंगलात के लोग घूम रहे थे।उन्होने जब भालुओ की चीखें सुनी तो उन्होने हवा मे गन से फायर कर दिया।मै हवाई फायर सुन कर जोर जोर से चिल्लाया-बचाओ बचाओ।
मैने नीचे देखा कि वहाँ से सारे भालू भाग गये थे पर मुझे नही पता कि मै चिल्ला रहा था वहाँ केवल मेरी आवाज गूंज रही थी।
तभी वहाँ पर एक जीप आकर रुकी।शायद मेरी आवाज सुनकर वो लोग आए थे।उनको मेरी आवाज तो सुनाई दे रही थी पर मै उनको पेड़ पर होने के कारण  दिखाई नही दे रहा था।
मै हिम्मत करके नीचे उतरा और तुरंत उनकी गाड़ी में चढ़ गया।वो जंगलात की पुलिस थी और उन्होने मुझे शिकारी समझकर अरेस्ट कर लिया।मै अभी भी कांप रहा था।भालुओ आ डर मेरे मन में समा गया था।
उसके बाद जंगलात वाले मुझे अपनी चौकी ले गये।मेरे पास केवल चने निकले ।वो मुझे पुछ ही रहे थे कि हथियार कहाँ है? कि तभी मुझे मौसा जी दिखाई दिये।मै चिल्लाया-मौसा जी
मौसा जी मुझे देख कर हैरान हो गये।मैने पुरी घटना उनको बताई तो वो मुझे घर लेकर आए।
ये थी,मेरी घूमने की कहानी।

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