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मई 9, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

क्या वो भूत था

राम को मन्दिरो मे घूमना बहुत ही अच्छा लगता था।ऐसे ही वो अपने गावँ में बने मन्दिर में चला गया।बड़ी गजब की फोटो और मुर्ति थी उस मन्दिर में ।पुजारी जी ने उसको मना किया था की भूगर्भ में ना जाये।पर ये तो है इंसानी दिमाग।वो नही माना।राम ने शादी नही की थी।बस मन्दिरो का मोह था उसको । अपनी सारी कमाई वो इस काम में ही खर्च करता था।               चलते-चलते राम भूगर्भ के रास्ते नदी के पास आ गया था कि तभी राम को ऐसा महसूस हुआ कि वहां कोई है । राम पलट कर वापिस जाना ही चाह रहा था कि एक जोरदार धक्का लगा और धडाम से गिर गया ।राम को समझ में नही आया कि वो कैसे गिर गया।लोगों को कहते सुना था कि नदी पर मत जाना पर राम कहाँ मानने वाला था।किसी तरह से राम अपने घर पहुँच गया ।खाना खाने बैठा तो सारा खाना खुद खा गया।राम के पिता ने कहा,जा पेड़ से पत्तिया तोड़ कर ला दे।पत्तल बनानी है।भिमल की पत्तिया लाना,उसकी पत्तल अच्छी बनती है। राम जल्दी से खुब सारी भिमल की पत्तिया तोड़ लाया।थोड़ी ही देर में पड़ोस से गीता आ गयी,उसने बताया कि भाई जी ने पूरा पेड़ काट दिया है। राम को शायद गीता की शिका...

भालूओ का जंगल

मेरा शौक है घुमना।मै घूमना चाहता हूँ । कोई मुझसे पुछता है कि तुम्हारा घूमने का भी कैसा अजीब शौक है।पर मै क्या करू?कोई भी जगह मुझे अच्छी लगती है।मै कस्बो में,गाँव में,पहाडों मे,जंगल में जब भी घूमने जाता हूँ तो साथ में भुने चने लेकर चलता हूँ ।ऐसे ही जब मै जंगल में घूमने जा रहा था तो पोटली में चने थे।मेरे पास केवल एक डण्डा था जिसकी सहयता से पहाड़ पर चड़ना आसान सा लगता था। चलते चलते मै थक गया था।फुलो की खुशबू आ रही थी,जो मदहोश करने वाली थी।मैने एक पेड़ के नीचे आश्रय लेने के लिये चारो तरफ देखा कि कौन सा पेड़ अच्छा रहेगा जिसके नीचे बैठ कर मै आराम कर लू। चारो ओर पेड़ ही पेड़ थे।जैसे ही मै पेड़ के नीचे बैठने वाला था कि मुझे एक काला सा भालू नजर आया।मै उसे देखते ही सरपट भागा।मुझे नही पता कि मैं  कहाँ  पहुंच गया था।मैने देखा एक और भालू चला आ रहा था,मेरे सामने से।कुछ ना देख मै पेड़ पर चढ़ गया।मेरी सांस धौकनी की तरह चल रही थी।ये तो गनीमत थी कि मै गाँव में पेड़ो पर चढ़ा करता था,इसलिये मुझे आदत थी कि मै किसी भी पेड़  पर चढ़ जाता था। पेड़ पर बैठे हुए मुझे एक घंटा हो गया था।मै नीचे उतरने की सोच ही...

मौत कहाँ और कैसे होगी

मौत बता कर नही आती और मौत जिस जगह होनी होगी आदमी वहाँ पर किसी भी बाहने से चला ही जायेगा। एक बार भगवान विष्णु कैलाश पर्वत पर पहुंचे। द्वार पर गरुड़ को छोड़ कर वे शिवजी से मिलने चले गए। गरुड़ दृष्‍टि एक खूबसूरत छोटी सी चिड़िया पर पड़ी। उसी समय मृत्‍यु के देवता यमराज भी कैलाश पहुंचे और अंदर जाने से पहले उन्होंने उस छोटे से पक्षी को आश्चर्य की द्रष्टि से देखा। गरुड़ समझ गए उस चिड़िया का अंत निकट है और यमदेव कैलाश से जाते हुए उसे अपने साथ यमलोक ले जायेंगे। गरूड़ को चिडिया पर बहुत दया आई। उन्‍होंने चिड़िया को अपने पंजों में दबाया और कैलाश से हजारो कोस दूर एक जंगल में चट्टान के ऊपर छोड़ दिया, और खुद बापिस कैलाश पर आ गए। जब यम बाहर आए तो गरुड़ ने पूछ लिया कि उन्होंने उस चिड़िया को इतनी आश्चर्य भरी नजर से क्यों देखा था। यम देव बोले "गरुड़ जब मैंने उस चिड़िया को देखा तो मुझे ज्ञात हुआ कि वो चिड़िया कुछ ही पल बाद यहां से हजारों कोस दूर एक नाग द्वारा खा ली जाएगी। मैं सोच रहा था कि वो इतनी जल्‍दी इतनी दूर कैसे जाएगी, पर अब जब वो यहां नहीं है तो निश्चित ही वो मर चुकी होगी।" "मृत्यु टाले नहीं ...