गर्भवती का बेड रेस्ट
जब औरत गर्भवती होती है तो उसके शरीर में कई प्रकार के बदलाव होते है जिन्हे हम हर्मोनल बदलाव भी कहते है गर्भवती महिला के शुरु के तीन महिने बहुत ही महत्वपूर्ण होते है।
जब एग फर्टिलाईज़ हो कर भूर्ण बन जाता है तो वो गर्भाशय की दीवार से चिपक जाता है।ये गर्भाशय की दीवार को ही भूर्ण का बेड या बिस्तर कहते है जो कि कई पर्त से बनी होती है जिस महिला की गर्भाशय की दीवार मे किसी शारीरिक कारण से या हरमोनल कारण से कमजोरी होती है तो कहा जाता है कि गर्भाशय कमजोर है और उस महिला को ही डॉक्टर बेड रेस्ट के लिये कहते है। डॉक्टर की सलाह माननी चाहिये।खानपान का विशेष ध्यान देना चाहिये।
महिला को घर मे कई कार्य शारीरिक ताकत लगा कर करने पड़ते हैं जिससे उक्त प्रकार के कमजोर गर्भाशय पर जोर पड़ने से नसो व मसल्स पर दवाब पड़ने पर भूर्ण की पकड़ छुट जाती है और रक्त स्राव होने लगता है व गर्भपात भी हो जाता है इसलिये गर्भवती को बेड रेस्ट की सलाह दी जाती है।
जब एग फर्टिलाईज़ हो कर भूर्ण बन जाता है तो वो गर्भाशय की दीवार से चिपक जाता है।ये गर्भाशय की दीवार को ही भूर्ण का बेड या बिस्तर कहते है जो कि कई पर्त से बनी होती है जिस महिला की गर्भाशय की दीवार मे किसी शारीरिक कारण से या हरमोनल कारण से कमजोरी होती है तो कहा जाता है कि गर्भाशय कमजोर है और उस महिला को ही डॉक्टर बेड रेस्ट के लिये कहते है। डॉक्टर की सलाह माननी चाहिये।खानपान का विशेष ध्यान देना चाहिये।
महिला को घर मे कई कार्य शारीरिक ताकत लगा कर करने पड़ते हैं जिससे उक्त प्रकार के कमजोर गर्भाशय पर जोर पड़ने से नसो व मसल्स पर दवाब पड़ने पर भूर्ण की पकड़ छुट जाती है और रक्त स्राव होने लगता है व गर्भपात भी हो जाता है इसलिये गर्भवती को बेड रेस्ट की सलाह दी जाती है।
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