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माँ बाप बेबसी के आँसू बहा रहे थे.

छोटे-छोटे  बच्चे  थे जो भूख से तड़पते तड़पते बेहोश हो रहे थे. उनके माँ  बाप बेबसी के आँसू बहा रहे थे. आंगन में बंधे हुए जानवर बेजान होकर पड़े थे. ना पानी था, ना खाना था. प्रकृति के प्रकोप को मनुष्य सदियों से ही झेलता आया हैं . इसका असर कभी कम तो कभी-कभी क्षेत्र के सम्पूर्ण जनजीवन को मौत के मुंह तक ले जाने वाला रहा हैं . ऐसा ही प्रकृति का प्रकोप सन् 1899 में हुआ था  जिसे 'छप्पना रो काळ' कहा जाता हैं . विक्रम संवत १९५६ में राजस्थान में अकाल पड़ने के कारण  इसे छप्पनिया काल कहा जाता है.     वैसे अकाल तो हर साल राजस्थान में पड़ता ही था.  जब राजस्थान में अकाल पड़ता था तो कृषक व पशुपालक अपने परिवार व पशुओं सहित अकाल के समय मालवा उत्तर प्रदेश व  सिंध की ओर चले जाते थे. विक्रम संवत १९५६ में   उत्तरी भारत के अन्य प्रांतो में भी घोर अकाल  पड़ा था . अतः कृषक व पशुपालक अपने परिवार व पशुओं सहित निराश होकर वापस अपने घर आ गए. इस अकाल में लगभग चौदह लाख मवेशी मर गये.मनुष्यों की तो कोई गिनती ही नहीं है.   राज्य सरकार ने चारा व धान बाहर स...

सरकारी नौकरिया और कैसे करें तैयारी

भारत में सरकारी नौकरियाँ प्रतिष्ठा, स्थायित्व और सामाजिक सम्मान के लिए जानी जाती हैं। नीचे कुछ सबसे महत्वपूर्ण सरकारी पद और उनमें नौकरी पाने का तरीका बताया गया है: 1. भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) महत्त्व: जिला कलेक्टर, सचिव स्तर के उच्च पद है जिनका कार्य नीति निर्माण और उनको लागू करना  परीक्षा:  सिविल सेवा परीक्षा (CSE)देनी होगी।  प्रारंभिक परीक्षा के बाद मुख्य परीक्षा होगी और फिर साक्षात्कार। 2. भारतीय पुलिस सेवा (IPS) महत्त्व: कानून व्यवस्था बनाए रखना, राज्य/जिला पुलिस का नेतृत्व। परीक्षा-सिविल सेवा परीक्षा द्वारा, IAS के साथ जो IAS के साथ होगी  3. भारतीय विदेश सेवा (IFS) महत्त्व: भारत का प्रतिनिधित्व विदेशों में, दूतावासों में कार्य। परीक्षा-UPSC सिविल सेवा परीक्षा द्वारा। 4. भारतीय राजस्व सेवा (IRS) महत्त्व: आयकर और जीएसटी से संबंधित कार्य। क्या करना होगा-UPSC सिविल सेवा परीक्षा द्वारा। 5. राज्य लोक सेवा आयोग (State PSC ) पद महत्त्व: राज्य प्रशासन, पुलिस, राजस्व जैसे विभागों में कार्य। परीक्षा: राज्य स्तर पर आयोजित PSC परीक्षा (जैसे MPPSC, UPPSC आदि)। 6. सरकारी बै...

बिना परिक्षा दिए सरकारी नौकरी इन विभागों मिल सकती है ।

बिना परीक्षा दिए सरकारी नौकरी प्राप्त करना कठिन है, लेकिन कुछ खास परिस्थितियों में संभव है।  नीचे कुछ ऐसे तरीके दिए गए हैं जिनसे बिना प्रतियोगी परीक्षा के भी सरकारी नौकरी मिलने की संभावना हो सकती है.- 1. सीधी भर्ती के ज़रिए- कुछ सरकारी संस्थान खास पदों पर सीधी भर्ती करते हैं, जहाँ केवल इंटरव्यू, डेमो, या योग्यता के आधार पर चयन होता है,  जैसे: विश्वविद्यालयों/कॉलेजों में गेस्ट लेक्चरर या असिस्टेंट पद मंत्रालयों में कंसल्टेंट या कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पद वैज्ञानिक संस्थानों में प्रोजेक्ट असिस्टेंट 2. कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नौकरियाँ- सरकारी विभागों में कई बार अस्थायी या कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरियाँ निकलती हैं, जहाँ परीक्षा नहीं होती: आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा वर्कर पंचायत सहायक डेटा एंट्री ऑपरेटर फील्ड वर्कर, हेल्थ वर्कर 3. स्पेशल कोटा/आरक्षण आधारित अवसर कुछ वर्गों को आरक्षण या प्राथमिकता मिलती है। जैसे- एक्स-सर्विसमैन कोटा दिव्यांगजन आरक्षण खिलाड़ियों का कोटा इनमें चयन प्रक्रिया सरल हो सकती है या परीक्षा में छूट मिलती है। 4. इंटरनल प्रमोशन/डिपार्टमेंटल पोस्टिंग यदि आप पहले से किसी सरका...

कौन से सरकारी विभाग है, जहा नौकरी मिलती हैं

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सरकारी विभाग जहाँ नौकरी मिल सकती है, उनमें कई प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं।  नीचे कुछ मुख्य सरकारी विभागों और संस्थानों की सूची दी गई है जहाँ नियमित रूप से नौकरियाँ निकलती हैं: 1. यूपीएससी (UPSC - संघ लोक सेवा आयोग) IAS, IPS, IFS जैसी प्रतिष्ठित सेवाओं के लिए अन्य केंद्रीय सेवाएँ जैसे IRS, रेलवे, आदि 2. एसएससी (SSC - कर्मचारी चयन आयोग) CGL, CHSL, MTS, JE आदि परीक्षाएँ विभिन्न केंद्रीय सरकारी विभागों में क्लर्क, असिस्टेंट आदि की भर्ती 3. राज्य लोक सेवा आयोग (जैसे यूपीपीएससी, एमपीपीएससी, बीपीएससी) राज्य प्रशासनिक सेवाएं (PCS, Naib Tehsildar, आदि) राज्य स्तर की अन्य नौकरियाँ 4. रेलवे विभाग (RRB) NTPC, Group D, ALP, JE, आदि पद 5. बैंकिंग क्षेत्र (IBPS, SBI, RBI) PO, Clerk, SO, RBI ग्रेड-B आदि 6. डाक विभाग (India Post) पोस्टमैन, GDS, असिस्टेंट आदि 7. रक्षा क्षेत्र (Army, Navy, Airforce) NDA, CDS, AFCAT, Agniveer, आदि के माध्यम से 8. पुलिस विभाग राज्य पुलिस (SI, कांस्टेबल) केंद्रीय बल (CRPF, BSF, CISF, ITBP, आदि) 9. टीचिंग और एजुकेशन विभाग CTET, TET, DSSSB, KVS, NVS के माध्यम से ...

सरकारी नौकरी के फायदे

सरकारी  नौकरी पाना सभी का  सपना होता है. सरकारी नौकरी के कई लाभ होते हैं, जो इसे  आकर्षक बनाते हैं। 1. नौकरी की सुरक्षा (Job Security): सरकारी नौकरियों में स्थायित्व अधिक होता है। एक बार नियुक्ति मिलने के बाद बिना किसी बड़ी गलती के नौकरी जाने का डर नहीं होता। 2.  समय पर वेतन: सरकारी कर्मचारी को समय पर वेतन और भत्ते मिलते हैं, चाहे आर्थिक स्थिति कुछ भी हो। 3. पेंशन और रिटायरमेंट लाभ: रिटायरमेंट के बाद पेंशन, ग्रेच्युटी, पीएफ आदि जो भी सुविधाएं मिलती हैं इससे आर्थिक स्थिरता  मिलतीं  हैं। 4. स्वास्थ्य सुविधा: सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवार को स्वास्थ्य बीमा या मुफ्त इलाज की सुविधा मिलती है। 5. सामाजिक प्रतिष्ठा: समाज में सरकारी नौकरी को बहुत सम्मानजनक माना जाता है। 6. कार्यस्थल का समय: प्राइवेट सेक्टर की तुलना में काम का दबाव और घंटों की अपेक्षा कम होती है। 7. अवकाश (Leave Benefits): वार्षिक अवकाश, आकस्मिक अवकाश, मातृत्व/पितृत्व अवकाश आदि मिलते हैं। 8. भत्ते और सुविधाएं: यात्रा भत्ता, मकान किराया भत्ता, शिक्षा भत्ता आदि मिलते हैं  9.कई विभाग में मकान क...

उड़ने वाला भूत

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   घर के सामने एक ही आम का पेड़ था। उसी पेड़ पर वो मुर्गा बैठा था।पहले तो मैने सोचा कि वो एक बड़ी  चिड़िया हैं,पर जब गौर से देखा तो वो एक लाल मुर्गा था।मुझे  हैरानी हुई कि ये मुर्गा पेड़ पर कैसे चढ़ गया है?    मौसा जी ने बताया कि यहाँ पर जंगल है इसलिये यहाँ पर उड़ने वाले मुर्गे भी है।उन्होने चेताया कि मै इनको पकड़ने की कोशिश बिल्कुल भी ना करुँ।यहाँ बुरी आत्मा भी है। ये जगह बिल्कुल भी अच्छी नही है।यहां भ्रम ही भ्रम है।मौसा जी तो यहाँ आना ही नही चाहते थे पर विभाग के अधिकारियो के द्वारा दिये गये इस आश्वासन पर वो आ गये कि  केवल छ: महिने यदि वो यहाँ रह जायेंगे  तो उनको फॉरेस्ट अफसर की पोस्ट पर प्रमोशन कर दिया जायेगा।मै भी अपने मौसा जी के साथ आ गया था।मौसा जी तो आफिस चले जाते पर मै घर के आस पास घूम लेता।शाम को उनके कुछ साथी लोग आ जाते थे उनसे गपशप हो जाती थी। कल शाम को मौसाजी मिठाई और फल लाये थे।मै मुर्गे को कुछ खाने को देना चाहता था।मैने बाहर आकर देखा वो अभी तक पेड़ पर ही था।मैने उस मुर्गे के लिये पेड़  के नीचे कुछ केले काट कर रख दिये। थोड़ी देर में व...

क्या वो भूत था

राम को मन्दिरो मे घूमना बहुत ही अच्छा लगता था।ऐसे ही वो अपने गावँ में बने मन्दिर में चला गया।बड़ी गजब की फोटो और मुर्ति थी उस मन्दिर में ।पुजारी जी ने उसको मना किया था की भूगर्भ में ना जाये।पर ये तो है इंसानी दिमाग।वो नही माना।राम ने शादी नही की थी।बस मन्दिरो का मोह था उसको । अपनी सारी कमाई वो इस काम में ही खर्च करता था।               चलते-चलते राम भूगर्भ के रास्ते नदी के पास आ गया था कि तभी राम को ऐसा महसूस हुआ कि वहां कोई है । राम पलट कर वापिस जाना ही चाह रहा था कि एक जोरदार धक्का लगा और धडाम से गिर गया ।राम को समझ में नही आया कि वो कैसे गिर गया।लोगों को कहते सुना था कि नदी पर मत जाना पर राम कहाँ मानने वाला था।किसी तरह से राम अपने घर पहुँच गया ।खाना खाने बैठा तो सारा खाना खुद खा गया।राम के पिता ने कहा,जा पेड़ से पत्तिया तोड़ कर ला दे।पत्तल बनानी है।भिमल की पत्तिया लाना,उसकी पत्तल अच्छी बनती है। राम जल्दी से खुब सारी भिमल की पत्तिया तोड़ लाया।थोड़ी ही देर में पड़ोस से गीता आ गयी,उसने बताया कि भाई जी ने पूरा पेड़ काट दिया है। राम को शायद गीता की शिका...

भालूओ का जंगल

मेरा शौक है घुमना।मै घूमना चाहता हूँ । कोई मुझसे पुछता है कि तुम्हारा घूमने का भी कैसा अजीब शौक है।पर मै क्या करू?कोई भी जगह मुझे अच्छी लगती है।मै कस्बो में,गाँव में,पहाडों मे,जंगल में जब भी घूमने जाता हूँ तो साथ में भुने चने लेकर चलता हूँ ।ऐसे ही जब मै जंगल में घूमने जा रहा था तो पोटली में चने थे।मेरे पास केवल एक डण्डा था जिसकी सहयता से पहाड़ पर चड़ना आसान सा लगता था। चलते चलते मै थक गया था।फुलो की खुशबू आ रही थी,जो मदहोश करने वाली थी।मैने एक पेड़ के नीचे आश्रय लेने के लिये चारो तरफ देखा कि कौन सा पेड़ अच्छा रहेगा जिसके नीचे बैठ कर मै आराम कर लू। चारो ओर पेड़ ही पेड़ थे।जैसे ही मै पेड़ के नीचे बैठने वाला था कि मुझे एक काला सा भालू नजर आया।मै उसे देखते ही सरपट भागा।मुझे नही पता कि मैं  कहाँ  पहुंच गया था।मैने देखा एक और भालू चला आ रहा था,मेरे सामने से।कुछ ना देख मै पेड़ पर चढ़ गया।मेरी सांस धौकनी की तरह चल रही थी।ये तो गनीमत थी कि मै गाँव में पेड़ो पर चढ़ा करता था,इसलिये मुझे आदत थी कि मै किसी भी पेड़  पर चढ़ जाता था। पेड़ पर बैठे हुए मुझे एक घंटा हो गया था।मै नीचे उतरने की सोच ही...

मौत कहाँ और कैसे होगी

मौत बता कर नही आती और मौत जिस जगह होनी होगी आदमी वहाँ पर किसी भी बाहने से चला ही जायेगा। एक बार भगवान विष्णु कैलाश पर्वत पर पहुंचे। द्वार पर गरुड़ को छोड़ कर वे शिवजी से मिलने चले गए। गरुड़ दृष्‍टि एक खूबसूरत छोटी सी चिड़िया पर पड़ी। उसी समय मृत्‍यु के देवता यमराज भी कैलाश पहुंचे और अंदर जाने से पहले उन्होंने उस छोटे से पक्षी को आश्चर्य की द्रष्टि से देखा। गरुड़ समझ गए उस चिड़िया का अंत निकट है और यमदेव कैलाश से जाते हुए उसे अपने साथ यमलोक ले जायेंगे। गरूड़ को चिडिया पर बहुत दया आई। उन्‍होंने चिड़िया को अपने पंजों में दबाया और कैलाश से हजारो कोस दूर एक जंगल में चट्टान के ऊपर छोड़ दिया, और खुद बापिस कैलाश पर आ गए। जब यम बाहर आए तो गरुड़ ने पूछ लिया कि उन्होंने उस चिड़िया को इतनी आश्चर्य भरी नजर से क्यों देखा था। यम देव बोले "गरुड़ जब मैंने उस चिड़िया को देखा तो मुझे ज्ञात हुआ कि वो चिड़िया कुछ ही पल बाद यहां से हजारों कोस दूर एक नाग द्वारा खा ली जाएगी। मैं सोच रहा था कि वो इतनी जल्‍दी इतनी दूर कैसे जाएगी, पर अब जब वो यहां नहीं है तो निश्चित ही वो मर चुकी होगी।" "मृत्यु टाले नहीं ...

गर्भवती का बेड रेस्ट

जब औरत गर्भवती होती है तो उसके शरीर में कई प्रकार के बदलाव होते है जिन्हे हम हर्मोनल बदलाव भी कहते है गर्भवती महिला के शुरु के तीन महिने बहुत ही महत्वपूर्ण होते है। जब एग फर्टिलाईज़ हो कर भूर्ण बन जाता है तो वो गर्भाशय की दीवार से चिपक जाता है।ये गर्भाशय की दीवार को ही भूर्ण का बेड या बिस्तर कहते है जो कि कई पर्त से बनी होती है जिस महिला की गर्भाशय की दीवार मे किसी शारीरिक कारण से या हरमोनल कारण से कमजोरी होती है तो कहा जाता है कि गर्भाशय कमजोर है और उस महिला को ही डॉक्टर बेड रेस्ट के लिये कहते है। डॉक्टर की सलाह माननी चाहिये।खानपान का विशेष ध्यान देना चाहिये। महिला को घर मे कई कार्य शारीरिक ताकत लगा कर करने पड़ते हैं जिससे उक्त प्रकार के कमजोर गर्भाशय पर जोर पड़ने से नसो व मसल्स पर दवाब पड़ने पर भूर्ण की पकड़ छुट जाती है और रक्त स्राव होने लगता है व गर्भपात भी हो जाता है इसलिये गर्भवती को बेड रेस्ट की सलाह दी जाती है।

फर्टिलाइजेशन और कंसेप्‍शन क्या होता है?

       जब स्‍पर्म एग तक पहुंचकर उसे निषेचित करते हैं, उसे कंसेप्‍शन कहते है।  जब तक एग फर्टिलाइज भ्रूण का रूप ले गर्भाशय की लाइनिंग तक पहुंचता है, तब इंप्‍लांटेशन होता है। परन्तु फर्टिलाइजेशन होने के तुरंत बाद इंप्‍लांटेशन नहीं होता है। कई लोगों को लगता है कि फर्टिलाइजेशन गर्भाशय में होता है जब कि ये फलोपियन टयूब में होता है और ये भूर्ण बाद में  गर्भाशय में चिपक जाता है।ये समय एक दिन से लेकर तीन दिन भी हो सकता है।

उसके पैर

रेल चल रही थी,मै नीचे की बर्थ पर बैठा हुआ था।रात के 11 बज चुके थे।सभी लोग सोने की तैयारी कर रहे थे।कुछ तो सो भी गये थे।मैने भी अपनी चादर निकाल कर बर्थ पर बिछा दी। मैने ऊपर की बर्थ पर देखा ,एक सुन्दर सी ड्रेस में  खुबसूरत लड़की बैठी थी।उसकी नजरे मुझ पर थी।वो मुझे घूर रही थी या मुझे गलतफहमी हूई मै नही जानता।मुझे कुछ संकोच हुआ बर्थ पर लेटने मे,सो बर्थ पर ही दोनो पैर मोड़ कर बैठ गया।उस लड़की ने कोई किताब निकाल ली थी,पर जब भी उसको देखता तो उसकी नजर मुझ से टकरा जाती और मै फिर इधर उधर देखने लगता। ट्रेन किसी छोटे से स्टेशन पर रुकी थी।चाय-चाय की आवाज से कुछ शोर हो गया था।वो किताब बन्द करके बैठी थी,उसकी घुरतीआंखे मुझे चुभ रही थी।मै उठा और मुँह धोने के लिये ट्रेन से उतर गया। वापिस आया तो देखा वो बर्थ पर लेट गयी थी पर ना जाने क्यो, मेरी नजरे बार-बार ऊपर उस बर्थ पर चली जाती थी। ट्रेन चल चुकी थी। कुछ वो लोग जो जागे थे,वो फिर से सो गये थे।मै अभी-अभी नींद के आगोश में जा ही रहा था कि मैने देखा एक लम्बा सा हाथ ऊपर से नीचे आया और मेरी पानी की बोतल उठा कर ले गया। ये लम्बा हाथ उस लड़की के पास से आ...

भालुओ का जंगल

 शौक है घुमना।मै घूमना चाहता हूँ । कोई मुझसे पुछता है कि तुम्हारा घूमने का भी कैसा अजीब शौक है।पर मै क्या करू?कोई भी जगह मुझे अच्छी लगती है।मै कस्बो में,गाँव में,पहाडों मे,जंगल में जब भी घूमने जाता हूँ तो साथ में भुने चने लेकर चलता हूँ ।ऐसे ही जब मै जंगल में घूमने जा रहा था तो पोटली में चने थे।मेरे पास केवल एक डण्डा था जिसकी सहयता से पहाड़ पर चड़ना आसान सा लगता था। चलते चलते मै थक गया था।फुलो की खुशबू आ रही थी,जो मदहोश करने वाली थी।मैने एक पेड़ के नीचे आश्रय लेने के लिये चारो तरफ देखा कि कौन सा पेड़ अच्छा रहेगा जिसके नीचे बैठ कर मै आराम कर लू। चारो ओर पेड़ ही पेड़ थे।जैसे ही मै पेड़ के नीचे बैठने वाला था कि मुझे एक काला सा भालू नजर आया।मै उसे देखते ही सरपट भागा।मुझे नही पता कि मैं  कहाँ  पहुंच गया था।मैने देखा एक और भालू चला आ रहा था,मेरे सामने से।कुछ ना देख मै पेड़ पर चढ़ गया।मेरी सांस धौकनी की तरह चल रही थी।ये तो गनीमत थी कि मै गाँव में पेड़ो पर चढ़ा करता था,इसलिये मुझे आदत थी कि मै किसी भी पेड़  पर चढ़ जाता था। पेड़ पर बैठे हुए मुझे एक घंटा हो गया था।मै नीचे उतरने की सोच ही ...

भारतीय अर्थवयवस्था

 भारत  के जीने के नियम,जिसके अंतर्गत भौतिकवाद एवं अध्यात्मवाद दोनों में समन्वय स्थापित करना सिखाया जाता है एवं व्यापार में भी आचार-विचार का पालन किया जाता है। भारतीय पद्धति में मानवीय पहलुओं को प्राथमिकता दी जाती है। अतः आज देश में भारतीय जीवन पद्धति को पुनर्स्थापित करने की अत्यधिक आवश्यकता है। देश के आर्थिक विकास को केवल सकल घरेलू उत्पाद एवं प्रति व्यक्ति आय से नहीं आँका जाना चाहिए बल्कि इसके आँकलन में रोज़गार के अवसरों में हो रही वृद्धि एवं नागरिकों में आनंद की मात्रा को भी शामिल किया जाना चाहिए। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि आर्थिक विकास हेतु एक शुद्ध भारतीय मॉडल को विकसित किए जाने की आज एक महती आवश्यकता है। इस भारतीय मॉडल के अंतर्गत ग्रामीण इलाक़ों में निवास कर रहे लोगों को स्वावलंबी बनाया जाना चाहिए। गाँव, जिले, प्रांत एवं देश को इसी क्रम में आत्मनिर्भर बनाया जाना चाहिए। साथ ही, भारतीय मॉडल में ऊर्जा दक्षता, रोज़गार के नए अवसर, पर्यावरण की अनुकूलता एवं विज्ञान का अधिकतम उपयोग का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। इस भारतीय मॉडल में प्रकृति के साथ तालमेल करके आगे बढ़ने की आवश्य...
 Child learning stages When her child was only two days old she went with her child to the field to look the plants.She wanted to care the field also but there was no one to look her baby in the house. She was very poor and she has a cotton old sari for her child. The child was wraped in the piece of that old sari.The child was feeling hu